छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में अड़े ग्रामीण! 500 ट्रैक्टरों के साथ 10,000 ग्रामीण दे रहे हैं अपने जीवित होने की गवाही, जल-जंगल-जमीन बचाने की कवायत

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खैरागढ़-ग्रामीणों ने सीमेंट परियोजना का किया विरोध.

अंग्रेजी सरकार से छुटकारा पाते ही हमारे देश की सरकारें ने विकास के नाम पर जल,जंगल, जमीन, नौले, धारे, मांगे, इजर, गाड़, नदी जिससे हम अपना गुजर-बसर चलाता थे, हमारे इन सभी प्राकृतिक संसाधनों, भण्डारों को बड़ी-बड़ी कम्पनियों और दुनिया के अमीरों के हाथों बेचने का काम किया है. हम आजाद देश में रहते हैं. जिसे डेमोक्रेसी कहते हैं. उसमें वोट देते हैं. नेता चुनते हैं. खूब सारे नारे लगाते हैं. जनता को स्वर्ण सपने दिखाए जाते हैं. लेकिन आज भी हमारी विकास नीतियों की योजना मुट्ठी भर लोग ही बनाते हैं और वे जानबूझ कर हम गांव-घर में रहने वाले लोगों को ठग कर बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फैदा पहुंचाने की फिराक में रहते हैं. इसमें हमारे नेता,सरकारी अधिकारी और टेक्निकल एक्सुपर्ट्स होते हैं. जिनका काम आम जनता के लिए सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करना है वे किसी खास वर्ग के लिए सुविधा और सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं.

उदाहरण के तौर पर आपको बता दें कि बाँधों के दुष्प्रभावों से जुझने के बाद आज अमेरिका, यूरोप की सरकारें अपनें बाँधों को तोड़ने में लगी हैं. वहीं हमारी सरकार इतने विशालकाय बाँध, बड़े-बड़े इणडस्ट्री, और विभिन्न परियोजना बना रही है. देश भर में बड़े बाँधों के अनुभव बताते हैं कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों के जीवन, पर्यावरण, सामाजिक और व्यवस्था पर कई विनाशकारी प्रभाव पड़ते हैं. बता दें कि इन सबके बावजूद हमारी सरकारें इन्हें अनदेखा कर प्रभावित समुदायों को सही जानकारी दिए बिना केवल मुआवजे का झाँसा देकर अपना काम करवा लेती है. देश में कई ऐसे उदाहरण हैं जब सराकारें मुआवजे का झाँसा दे देती है लेकिन परियोजना के क्रियान्वयन के वर्षों बाद भी प्रभावित लोग आजीविका, जीवन -यापन संबधी अधिकारों और पुनर्स्थापन अधिकारों के लिए आज भी संघर्षरत हैं और दर दर भटक रहे हैं.

उत्तराखण्ड, झारखण्ड, बिहार एवं मध्यप्रदेश ऐसे उदाहरणों से भरे पड़े हैं जहां के प्रभावित लोग आज भी मुआवाजा और अपने अधिकारों के लिए भटक रहे हैं. आज जब छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के छुईगांव के लोग सीमेंट परियोजना के खिलाफ अड़े हुए हैं और वे हर हाल में अपनी जमीन सेठ को देने के खिलाफ हैं. देश मुख्यधारा की मीडिया को भी देख रहा है जब देश के किसी एक जगह पर लोग अपनी जमीन और घर बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तब यह दैत्य रुपी मेनस्ट्रीम मीडिया पूतीन की दिनचर्या का बखान कर रही है, जैसे की पूतिन को दलिया पसंद है या टमाटर, पोर्क या मीट आदि आदि. हमें उन छोटे-छोटे यूट्यूबर और क्षेत्रीय पत्रकारों को धन्यवाद देना चाहिए जो इस मुद्दे को देश भर की पटल पर लाने की कोशिश कर रहे हैं.

चूना पत्थर खदान के खिलाफ प्रदर्शन

हाल ही में छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में श्री सीमेंट लिमिटेड की सण्डी चूना पत्थर खदान और सीमेंट परियोजना के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन हुआ. करीब 500 ट्रैक्टरों के साथ लगभग 10,000 ग्रामीण छुई खदान की ओर चल पड़े. बता दें कि आक्रोशित ग्रामीणों की रैली को पुलिस ने सीमा पर रोकने की नाकाम कोशिश की. ग्रामीण पैदल ही एसडीएम कार्यालय पहुंच गए. ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपते हुए 11 दिसंबर की जनसुवाई को तत्काल रद्द करने की मांग की.

ग्रामीणों को चूना पत्थर खदान पसंद नहीं

प्रस्तावित खदान क्षेत्र के 10 किलोमीटर दायरे में आने वाले लगभग 40 गांवों ने लिखित आपत्ति दर्ज कर परियोजना का विरोध किया है. संडी, पंडरिया, विचारपुर और भरदागोड़ पंचायतों ने अपने ग्रामसभा प्रस्तावों में स्पष्ट कहा है कि वे चूना पत्थर को किसी भी स्थिती में स्वीकार नहीं करेंगे. ग्रामीणों का मानना है कि खदान खुलने पर जलस्त्रोत, खेती किसानी,पशुपालन, आजीविका और पर्यावरण पर गंभीार खतरा पैदा होगा.

ग्रामीणों ने किया जक्काजाम

बता दें कि ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीणों ने राजनदंगांव-कवर्धा मुख्य सड़क जाम किया. ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई है जिसके जवाब में पुलिस ने भी ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया. आपको बता दें कि ग्रामसभा से शुरू हुआ यह विरोध अब गांवों की सीमा को पार कर विभिन्न सरकारी कार्यलयों, सामाजिक संगठनों, और क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों के कार्यलय तक पहुंच गया है.

ग्रामीण का साफ कहना है कि खदान से होने वाला प्रदूषण और विस्थापन उनकी आजीविका पर सीधा प्रहार है. ग्रामीणों का कहना है कि जनसुवाई की प्रक्रिया भी पारदर्शी नहीं है और प्रभावित गांवों की असली राय को इसमें नहीं शामिल किया गया है. ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि चूना पत्थर खदान और सीमेंट परियोजना से कृषि,पशुपालन और पर्यावरण पर गंभीर खतरा होगा.

आपको बता दें कि इससे पहले छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला के अमेरा कोयला खदान में पिछले बुधवार को खदान को लेकर बवाल हुआ था.

विकास और मुनाफे की अंधी दौड़ पर किसी ने ठीक ही कहा है-

विकास शब्द को बार-बार दोहराओ
मुझे यकीन है
एक दिन तुम उसे ठीक से
पढ़ सकोगे विनाश

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