एफएओ(FA0 ) की रिपोर्ट, दुनिया में खाद्य असुरक्षित(FOOD INSECURE) लोगों की संख्या तीन गुना बढ़ी

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यूएन (UN)के खाद्य और कृषि संगठन(FAO) ने बढ़ती गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने के लिए, पहली बार एक आपात वैश्विक अपील जारी की है.

एफएओ(FAO) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यह बात सामने आई है कि दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा(FOOD SECURITY) की स्थिति कुछ बेहतर तो हुई है मगर विषमताएँ बढ़ी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों की संख्या, वर्ष 2016 से तीन गुना बढ़कर 30 करोड़ पर पहुंच गई है. यूएन(UN) के खाद्य और कृषि संगठन(FAO) ने बढ़ती गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने के लिए, पहली बार एक आपात वैश्विक अपील जारी की है. अपील का उद्देश्य संकट के समय खाद्य उत्पादन की सुरक्षा के लिए आपात कृषि सहायता उपलब्ध कराना और समुदायों को संकट का सामना करने के लिए सशक्त बनाना है. इसके अलावा रिपोर्ट का उद्देश्य समुदायों की सहनक्षमता(RESILLIENCE) को मजबूत करना है. बता दें कि दुनिया भर में, मानवीय संसाधन लगातार सीमित होते जा रहे हैं. ऐसे में , यह अपील फूड इनसेक्यूरिटी के बढ़ते स्तरों को निपाटने के लिए, अधिक समान्वित और तत्काल कदम उठाने की एक पुकार है.

179वीं एफएओ परिषद(FAO COUNCIL)

आपको बता दें कि यह अपील एफएओ की 179वीं परिषद के दौरान की गई है. एफएओ के महानिदेशक क्यूं डोंगयू ने कहा कि खाद्य संकटों से निपटने की रूपरेखा और उनके क्रियान्वयन को मजबूत किए जाने की जरूरत है. आगे उन्होंने कहा कि दुनिया भर में, मानवीय सहायता का स्तर पहले की तुलना में बढ़ा है. इसके बावजूद, वर्ष 2016 के बाद से, गंभीर खाद्य असुरक्षा के स्तर में तीन गुना वृध्दि हुई है. खाद्य असुरक्षा के स्तर में वृध्दि इस बात की ओर संकेत कर रही है कि वर्तमान मॉडल फूड इनस्केयूरिटी के समस्याओं को हल करने में विफल है.

क्या है अपील का उद्देश्य

एफओ ने इस अपील के माध्यम से सभी मानवीय और सहनशीलता समबन्धी जरूरतों को एक एकीकृत ढाँचे में समाहित किया है, ताकि तात्कालिक आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके. अपील का लक्ष्य, वर्ष 2026 में 2.5 अरब डॉलर जुटाना है, जिससे 54 देशों और क्षेत्रों में 10 करोड़ से अधिक लोगों की सहायता की जा सके. साथ ही अपील का उद्देश्य भविष्य में किसा संभावित संकट कि स्थिति में महंगी और बार-बार होने वाली सहायता जरूरत को कम करना है.

महानिदेशक का कहना है कि, खाद्य उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, किसानों को उत्पादन जारी रखने में सक्षम बनाना बेहद महत्वपूर्ण है. जब किसान उत्पादन बनाए रख पाते हैं, तो समुदाय स्थिर होते हैं और कृषि सहनक्षमता की राह वास्तविक रूप से संभव हो जाती है.

लंबी अवधि के संकटों पर भी हो जोर

अपील में कहा गया है कि तात्कालिक सहायता से अल्पकालिक संकटों का हल निकल सकता है. लेकिन लंबी अवधि के संकटों को तात्कालिक सहायता से दूर नहीं किया जा सकता है. लम्बी अवधि के संकटों से बचने के लिए एक बेहतरीन रोडमैप बनाकर उस पर मजबूती से क्रियान्वयन करना होगा. आपको बता दें कि गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले, 80 परसेंट लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जो खेती बाड़ी, पशुपालन और मत्स्य पालन पर निर्भर रहते हैं. इसके बावजूद मानवीय खाद्य क्षेत्र के लिए आंवटित बजट का मात्र 5 परसेंट हिस्सा ही कृषि-आजीविका के लिए खर्च किया जाता है.जिसके कारण असन्तुलन की स्थिति बनी रहती है और परिवारें लगातार संकट और निर्भरता के चक्र में फंस जाते हैं.

आपको बता दें कि एक रिसर्च के अनुसार ये बताया गया है कि कृषि सहायता में आरम्भिक स्तर पर किया गया, हर एक डॉलर का निवेश, भविष्य में 7 डॉलर तक के लाभ के रूप में लौट सकता है.

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